भोपाल। 11 जनवरी को सहकार भारती का 40 वां स्थापना दिवस सहकार भारती के प्रदेश कार्यालय भोपाल में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने भारत माता और सहकार भारती के संस्थापक श्रदेय लक्ष्मणराव जी के चित्रों पर माल्यर्पण ओर दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरुण उपध्याय जी , सहकार भारती के प्रदेशाध्यक्ष विवेक चुतर्वेदी जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में म.प्र. के संरक्षक भरत चतुर्वेदी जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष आशाराम जी, इंदर सिंह जी पूर्व क्षेत्र संघटन प्रमुख, भोपाल कॉपरेटिव के अध्यक्ष जीवन मैथिल जी मंचासीन थे। इस अवसर पर श्री इंदर सिंह और भरत जी को शॉल ओर श्रीफल देकर सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के संगठन प्रमुख श्री संजय नायक, श्री राकेश चौहान व शहर के गणमान्य नागरिक ओर महिला बहनें उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन श्री राकेश चौहान ने किया।

इस अवसर पर सहकार भारती के प्रदेशाध्यक्ष व कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि भारतीय इतिहास को उठाकर देखें तो सहकारिता की शुरुआत आदि अनादि काल से भारत में आ रही है, वेदों को शास्त्रों को देखो, अर्थशास्त्र में चाणक्य ने भी सहकारिता को समझाया है। श्री चुतर्वेदी ने प्राचीन इतिहास और पौराणिक कथाओं के उदाहरण देकर बताया कि कॉपरेटिव की शुरुआत ही भारत से हुई है। ये लोगों का भ्रम है कि सहकारिता बाहर से आई है। उन्होंने भारतीय परिवारों के उदाहरण देते हुये बताया कि एक दूसरे की चिंता हमारे परिवारों में की जाती है। छोटे बड़े सब एक दूसरे का सम्मान करते हुये सहकारिता निभाते है। सुख, समृद्धि के साथ आज सहकार भारती 40 वर्षों का सफर पूरा कर चुकी है। देश मे सहकार भारती गांव गांव तक पहुँच चुकी है। उन्होंने केरल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों में प्रेरक कार्य कर रही संस्थाओं के बारे में बताकर सहकरिता के माध्यम से बदलाव के प्रत्यक्ष उदाहरण बताएं, उन्होंने सहकार भारती के आगे के लक्ष्यों को पूर्ण करने व समाज हित मे कार्य करते हुये देश के विकास में योगदान देने का आग्रह करते हुये स्थापना दिवस की बधाई दी।
कार्यक्रम में इंदर सिंह जी ने सहकार भारती के स्थापना दिवस की बधाई देते हुये संघठन की स्थापना से लेकर विस्तार के बारे में प्रकाश डाला, वहीं श्री भरत चतुर्वेदी ने सहकारिता की भावना को समझाते हुये सहकार भारती की उपयोगिता के बारे में बताते हुये भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता के भाव के साथ सहकार भारती को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। अंत मे अरुण उपाध्याय जी व आशाराम जी ने भी सहकार भारती के कार्यों की प्रसंसा करते हुये स्थापना दिवस की बधाई दी।